इधर गुज़रात ,मध्यप्रदेश ,राजस्थान समेत अनेक राज्य जेनेरिक दवाओं को तरजीह देने का बीड़ा उठा चुकें हैं। यह एक बड़ी पहल है। जेनेरिक अच्छे दिन शुरू।वो कहतें हैं न -एक दिन घूरे के भी दिन फिरते हैं। Every dog has a day . बहरसूरत जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता ,असरकारिता ,फोर्मुलेशन ,स्टेब्लिटी की सख्त निगरानी रखनी होगी। तस्वीर का एक पहलु ये भी देखिये लेकिन निराश मत होइए ,अमरीका अमरीका है इंडिया इंडिया ,वह ला सुइट्स वाला कंट्री है वहां बात - बात पे 'ला' सूट यहां खुला खेल फरुख्खाबादी ,यह दो ध्रुव हैं सत्य इनके बीच में सैनविच हुआ पड़ा है।
कृपया उल्लेखित सेतु (लिंक )पे जाएँ ,आपको चंद दवाओं के जेनेरिक के साथ साथ ब्रांड नैम मिलेंगे।जेनेरिक दवा से मतलब उस रासायनिक लवण केमिकल साल्ट से है जो उस ड्रग का प्रमुख अवयव है। ब्रांड नेम दवा निगमों का वैशिष्ठ्य होता है जो निगम जित्ता बड़ा उसकी दवा उतनी ही मंहगी कम्पनी बड़ी सब तामझाम ,मार्केटिंग ,इश्तहार ,प्लांट्स , विज्ञापनबाजी सब आला दर्ज़ा मिलेगी। जेनेरिक दवाएं देसी सौदा है ऐसी तकरीबन पैंतालीस हज़ार करोड़ रूपये की जेनेरिक ड्रग्स भारत हर साल विदेशों को निर्यात करता है। बदले में हमारे यहां तकरीबन सौ सालों से ईस्टइंडिअ कम्पनी की ये ड्रग महाबली संतानें विकसित पल्लवित होती रही हैं केंद्र सरकार ने मुहीम चलाई है देश के आम अउ ख़ास को सस्ती सुरक्षित अफोर्डेबल जेनेरिक दवाएं मुहैया करवाई जाएं। बेस हॉस्पिटल ,रिसर्च एन्ड रेफरल नै दिल्ली में भी इत्तेफाकन ये दोनों ही अस्पताल (फौजी अस्पताल )इतर फौज के अस्पताल इधर पहल कर चुकें हैं वहां से आपको जेनरेरिक दवाएं ही मिलेंगी ,दिक्कत आपको तब पेश आती है जब दवा स्टॉक में स...