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'राफेल मुद्दे पार राहुल की बदज़ुबानी '

यह आकस्मिक नहीं है कि नेहरुपंथी कांग्रेस के अवशेषी युवराज को केजरीवाल -२ कहा जाने लगा है। आखिर दोनों में अद्भुत साम्य जो है। दोनों को ही दुर्योधन की तरह भारत में अपने अलावा कोई सद्पुरुष दिखलाई नहीं देता। दोनों ही स्वामी असत्यानन्द के रूप में जाने जाते हैं। औरों को 'तू' खुद को 'आप 'कहकर दोनों ही गौरवान्वित होते रहें हैं। राहुल जमानत पर हैं उनका अब कोई और क्या बिगाड़ लेगा इसीलिए वे -बे -लगाम होकर  अपभाषा का अपमार्जन कर रहें हैं। 

*राफेल*
*_बात शुरू होती है वाजपेयी सरकार से तब अटलजी के विशेष अनुरोध पर भारतीय वैज्ञानिकों ने ब्रम्होस मिसाइल तैयार की थी जिसकी काट आजतक दुनिया का कोई देश तैयार नही कर सका है। विश्व के पास अबतक ऐसी कोई टेक्नोलॉजी नही जो ब्रम्होस को अपने निशाने पर पहुंचने से पहले रडार पर ले सके। अपने आप मे अद्भुत क्षमताओं को लिये ब्रम्होस ऐसी परमाणु मिसाइल है जो 8000 किलोमीटर के लक्ष्य को मात्र 140 सेकेंड में भेद सकती है। और चीन के लिये यह लक्ष्य भेदन क्षमता ही सिरदर्द बनी हुई है। न चीन आजतक ब्रम्होस की काट बना सका है न ऐसा रडार सिस्टम जो ब्रम्होस को पकड़ सके।_*_अटलजी की सरकार गिरने के बाद सोनिया के कहने पर कांग्रेस सरकार ने ब्रम्होस को तहखाने में रखवाकर आगे का प्रोजेक्ट बन्द करवा दिया जिसमें ब्रम्होस को लेकर उड़ने वाले फाइटर जेट विमान खरीदने फिर देश में तैयार करने की योजना थी जो अधूरा रह गया।
दस वर्षों बाद जब मोदी सरकार आई तब तहखाने में धूल गर्द में पड़ी ब्रम्होस को संभाला गया वह भी तब! जब मोदी खुद भारतीय सेना से सीधा मिले तो सेना ने व्यथा बताई कि हमारे पास हथियारों की बेहद कमी है कोई खरीद हो नहीं रही सिर्फ चर्चा ही करते हैं अंदर क्या खिचड़ी पकाते पता नहीं चलता है VVIP हेलिकोप्टर तुरंत फाईनल होते हैं_!
*_वर्तमान में ब्रम्होस को लेकर उड़ सके ऐसा सिर्फ एक ही विमान हैऔर वह है राफेल! जी हाँ दुनियाभर में सिर्फ राफेल ही वो खूबियां लिये हुए है जो ब्रम्होस को सफलतापूर्वक निशाने के लिये छोड़कर वापिस लेंड करके मात्र 4 मिनट में फिर दूसरे ब्लास्ट को तैयार हो जाये। मोदी ने फ्रांस से डील करके राफेल को भारतीय सेना तक पहुंचाने का काम कर दिया और यहीं से असली मरोड़ चीन और उसके पिट्ठू वामपंथियों को हुई। इसमें देशद्रोही पीछे कैसे रहते! जो विदेशी टुकड़ो पर पलने वाले गद्दार अपने आका चीन के नमक का हक अदा करने मैदान में उतर आये_*।
*खैर ..शायद भारतीय सेना और मोदी दोनों इस तरह की आशंका को भांप गये तो राफेल के भारत पहुंचते ही उसका ब्लेकबॉक्स सहित पूरा सिस्टम निकाला गया राफेल के कोड चेंज करके उसमें भारतीय कम्प्यूटर सिस्टम डाला गया जो राफेल को पूरी तरह बदलने के साथ उसकी गोपनीयता बनाये रखने में सक्षम था लेकिन बात यहीं नही रुकी राफेल को सेना के सुपुर्द करने के बाद सरकार ने सेना को उसे अपने हिसाब से कम्प्यूटर ब्लेकबॉक्स और जो तकनीक सेना की है उसे अपने हिसाब से चेंज करने की छूट दे दी। सेना ने छूट मिलते ही मात्र 48 घण्टो में राफेल को बदलकर रख दिया। और चीन जो राफेल के कोड और सिस्टम को हैक करने की फिराक में था वह हाथ मलते रह गया।*
*_और तब चीन द्वारा अपने पाले वामपंथी कुत्तों को राफेल की जानकारी लीक करके उसतक पहुंचाने का काम सौंपा गया. भारत भर की मीडिया में भरे वामपंथी दलालों ने राफेल सौदे को घोटाले की शक्ल देने की नाकाम कोशिश की ताकि सरकार या सेना विवश होकर सफाई देने के चक्कर में इस डील को सार्वजनिक करे जिससे चीन अपने मतलब की जानकारी जुटा सके पर सरकार और सेना की सजगता के चलते दलाल मीडिया का मुंह काला होकर रह गया तब! अपने राहुलगांधी मैदान में उतरे चीनी दूतावास में गुपचुप राहुलगांधी ने मीटिंग की उसके बाद राहुलगांधी ने चीन की यात्रा की और आते ही राफेल सौदे पर सवाल उठाकर राफेल की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग जोर शोर से उठने लगी।_*
*_पूरा मीडिया सारी कोंग्रेस की दिलचस्पी सिर्फ और सिर्फ राफेल की जानकारी सार्वजनिक कराने में है ताकि चीन ब्रम्होस का तोड़ बना सके पर ये अबतक सम्भव नही हो पाया जिसका श्रेय सिर्फ कर्तव्यनिष्ठ भारतीय सेना और मोदी जी को जाता है। चीन ब्रम्होस की जानकारी जुटाने के चक्कर में सीमा पर तनाव पैदा करके युद्ध के हालात बनाकर देख चुका है पर भारतीय सेना की चीन सीमा पर राफेल सहित ब्रम्होस की तैनाती देखकर अपने पांव वापिस खी खींचने को मजबूर हुआ था।
डोकलाम विवाद चीन ने इसीलिये पैदा किया था ताकि वह ब्रम्होस और राफेल की तैयारी देख सके ...इधर आप इसी राहुलगांधी को प्रधानमंत्री पद के योग्य समझ रहें हैं जो स्वयं और इसकी पार्टी के नेता हमारे दुश्मन देशों से गलबहियाँ करते हैं, और हमेशा हमारे भारत की गोपनीयता और सुरक्षा को शत्रु देश के हाथों उचित कीमत पर बेचने को तैयार बैठे रहतें हैं।

नेहरू ने भी लाखों किलोमीटर जमीन चीन को बेची थी और जनता समझती है हम युद्ध हार गये! आज ये राफेल और ब्रम्होस ही भारत के पास वो अस्त्र हैं जिसके आगे चीन बेबस हैं.
हाल ही में राहुल ने कैलाश मानसरोवर की छद्म यात्रा का भरम पैदा किया और चीन की एक बार फिर सैर कर आया।
दोस्तों ये सावधान रहने का वक्त है, जो राहुल गांधी भोले की आँखों में धूल झौंक सकता उसके लिए भारत और भारत धर्मी समाज क्या चीज़ है।
साभार :भाई जय प्रकाश जी की वाल से।

एक प्रतिक्रिया नीचे दी गई खबर पर :
'राफेल मुद्दे पार राहुल की बदज़ुबानी '

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