राफेल विमान सौदे पर उत्पन्न विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार से इस मुद्दे पर संसद के फिर गरमाने के आसार हैं। एक तरफ कांग्रेस जहां इस मामले में जेपीसी जांच की मांग पर अड़ी हुई है, वहीं भूल सुधार के लिए सरकार के फिर कोर्ट जाने से कांग्रेस और अन्य दलों को एक और मुद्दा हाथ लग गया है। इसलिए इस तूफान के अभी थमने के आसार नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भले ही कानूनी मोर्चे पर सरकार को बड़ी राहत मिल गई हो लेकिन इस पर राजनीति खत्म होती नहीं दिख रही है। इतना जरूर है कि कोर्ट की क्लीन चिट के बाद सत्तापक्ष मजबूती से विपक्ष पर पलटवार करने के लिए तैयार है।
दरअसल, सीएजी रिपोर्ट के पीएसी में भेजे जाने की गलती को पकड़ कांग्रेस ने इस मामले को तूल देना शुरू कर दिया है हालांकि सरकार ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट जाकर गलती सुधारने की अपील की है लेकिन जब तक यह मामला कोर्ट की सुनवाई के लिए नहीं आता कांग्रेस को एक मुद्दा मिल गया है।
सहयोगी दलों का रुख
संसद में इस मुद्दे के गरमाने से सरकार और कांग्रेस दोनों के लिए सहयोगी दलों का रुख अहम होगा। एनडीए घटक शिवसेना जहां कांग्रेस के साथ खड़ी दिख रही है वहीं आप के रुख से कांग्रेस को बल मिल रहा है। हालांकि सपा ने जेपीसी मांग को अब गैर जरूरी बताकर संकेत दे दिया है कि कांग्रेस को इस मुहिम में अब साथियों का साथ नहीं मिलेगा।
कितना बड़ा चुनावी मुद्दा
राफेल को लेकर अभी तक राजनीतिक जानकारों की सोच रही है कि चुनाव में इसका जमीनी स्तर पर कोई असर नहीं है। हालिया चुनावों में भी इसका कोई असर पड़ा हो, ऐसे संकेत नहीं हैं। लेकिन लोकसभा चुनावों में अभी समय है, उसे लेकर सरकार को कोई आशंका रही हो तो वह कोर्ट के फैसले से दूर हो गई है। इसलिए कांग्रेस इस मुद्दे को उठाना जारी रखती है, तो भाजपा पिछले रक्षा घोटालों को उठाकर पलटवार करेगी। ताकि हिसाब बराबर रहे।
कांग्रेस मुद्दे को लंबा खीचने के पक्ष में
दरअसल, कांग्रेस ने संसद सत्र शुरू होते ही राफेल सौदे की जांच के लिए जेपीसी बनाने की मांग उठानी शुरू कर दी थी। चर्चा के लिए भी नोटिस दिए हैं। लेकिन शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही सत्तापक्ष ने आक्रामक रुख धारण कर लिया था लेकिन कांग्रेस के रुख से साफ है कि अभी इस मुद्दे को संसद में उठाना जारी रखेगी लेकिन आगे कितना खींच पाएगी, यह कहना मुश्किल है। दूसरा काफी कुछ इस बात पर भी निर्भर करेगा कि उसके सहयोगी दलों का क्या रुख रहता है।
दरअसल, कांग्रेस ने संसद सत्र शुरू होते ही राफेल सौदे की जांच के लिए जेपीसी बनाने की मांग उठानी शुरू कर दी थी। चर्चा के लिए भी नोटिस दिए हैं। लेकिन शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही सत्तापक्ष ने आक्रामक रुख धारण कर लिया था लेकिन कांग्रेस के रुख से साफ है कि अभी इस मुद्दे को संसद में उठाना जारी रखेगी लेकिन आगे कितना खींच पाएगी, यह कहना मुश्किल है। दूसरा काफी कुछ इस बात पर भी निर्भर करेगा कि उसके सहयोगी दलों का क्या रुख रहता है।
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