राहुल गांधी की बयाबबाज़ी के पीछे अनिल अम्बानी का हाथ है ?क्या कहना है Newsloose.com का जानिये(Part III )
छोटे अम्बानी के बचाव में आई कांग्रेस
२०१७ में अनिल अम्बानी ने अपना टेलीकॉम कारोबार बड़े भाई मुकेश की कम्पनी जियो को बेच दिया था। केंद्र सरकार ने बैंक गारंटी के तौर पर २४९० करोड़ रूपये की मांग की है। लेकिन अनिल अम्बानी के वकील के तौर पर पेश हुए कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने दलील दी है कि जब कंपनी दिवालिया हो चुकी है तो बैंक गारंटी कैसी ?दरअसल अनिल अम्बानी ने बहुत चालाकी दिखाते हुए बैंक में गारंटी के तौर पर रखी सम्पत्तियों को भी बेच दिया। ऐसे में कांग्रेस के आगे दबाव है कि वो अनिल अम्बानी को इस मुश्किल से बाहर निकाले ,जिसके लिए उसने उस कपिल सिब्बल को आगे किया है। इस घटना ने इस आरोप को एक तरह से बल दिया है कि कांग्रेस और अनिल अम्बानी के बीच में किसी तरह की अंडरस्टेंडिंग बनी हुई है। यहां हम आपको बता दें कि २०१४ से पहले कांग्रेस के समय में अनिल अम्बानी को खूब काम मिला करता था। यहां तक कि उन्हें दिल्ली की एयरपोर्ट मेट्रो और मुंबई मेट्रो का भी ठेका मिला था। इन दोनों प्रोजेक्ट्स को उन्होंने या तो अधूरा छोड़ दिया था या काम काज की क्वालिटी को लेकर उनकी कम्पनी सवालों के घेरे में रही। ऐसे में कई लोग हैरानी जताते रहे हैं कि राहुल गांधी आखिर अनिल अम्बानी पर हमला क्यों कर रहे हैं ?
कपिल सिब्बल और अनिल अम्बानी पर साठगांठ के आरोप नए नहीं हैं। बीजेपी नेता हर्षवर्धन ने २०१४ के चुनाव के समय आरोप लगाया था कि टेलीकॉम मंत्री पद पर रहते हुए कपिल सिब्बल ने अपने विभाग के सचिव की अनदेखी करते हुए अनिल अम्बानी की कम्पनी को ६५० करोड़ रूपये का फायदा पहुंचाया था। जबकि उन्हें कानूनन रिलायंस कम्पनी पर भारी जुर्माना करके उसका १३ सर्किल में दूरसंचार का लाइसेंस रद्द करना चाहिए था। मोदी सरकार के बाद रिलायंस टेलीकॉम आर्थिक संकट का शिकार हो गई और इन आरोपों की जांच ठंडे बस्ते में चली गई।
सन्दर्भ -सामिग्री :
छोटे अम्बानी के बचाव में आई कांग्रेस
२०१७ में अनिल अम्बानी ने अपना टेलीकॉम कारोबार बड़े भाई मुकेश की कम्पनी जियो को बेच दिया था। केंद्र सरकार ने बैंक गारंटी के तौर पर २४९० करोड़ रूपये की मांग की है। लेकिन अनिल अम्बानी के वकील के तौर पर पेश हुए कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने दलील दी है कि जब कंपनी दिवालिया हो चुकी है तो बैंक गारंटी कैसी ?दरअसल अनिल अम्बानी ने बहुत चालाकी दिखाते हुए बैंक में गारंटी के तौर पर रखी सम्पत्तियों को भी बेच दिया। ऐसे में कांग्रेस के आगे दबाव है कि वो अनिल अम्बानी को इस मुश्किल से बाहर निकाले ,जिसके लिए उसने उस कपिल सिब्बल को आगे किया है। इस घटना ने इस आरोप को एक तरह से बल दिया है कि कांग्रेस और अनिल अम्बानी के बीच में किसी तरह की अंडरस्टेंडिंग बनी हुई है। यहां हम आपको बता दें कि २०१४ से पहले कांग्रेस के समय में अनिल अम्बानी को खूब काम मिला करता था। यहां तक कि उन्हें दिल्ली की एयरपोर्ट मेट्रो और मुंबई मेट्रो का भी ठेका मिला था। इन दोनों प्रोजेक्ट्स को उन्होंने या तो अधूरा छोड़ दिया था या काम काज की क्वालिटी को लेकर उनकी कम्पनी सवालों के घेरे में रही। ऐसे में कई लोग हैरानी जताते रहे हैं कि राहुल गांधी आखिर अनिल अम्बानी पर हमला क्यों कर रहे हैं ?
कपिल सिब्बल और अनिल अम्बानी पर साठगांठ के आरोप नए नहीं हैं। बीजेपी नेता हर्षवर्धन ने २०१४ के चुनाव के समय आरोप लगाया था कि टेलीकॉम मंत्री पद पर रहते हुए कपिल सिब्बल ने अपने विभाग के सचिव की अनदेखी करते हुए अनिल अम्बानी की कम्पनी को ६५० करोड़ रूपये का फायदा पहुंचाया था। जबकि उन्हें कानूनन रिलायंस कम्पनी पर भारी जुर्माना करके उसका १३ सर्किल में दूरसंचार का लाइसेंस रद्द करना चाहिए था। मोदी सरकार के बाद रिलायंस टेलीकॉम आर्थिक संकट का शिकार हो गई और इन आरोपों की जांच ठंडे बस्ते में चली गई।
सन्दर्भ -सामिग्री :
NEWSLOOSE
क्या राहुल गांधी की बयानबाजी के पीछे अनिल अंबानी का हाथ है?http://newsloose.com/2018/11/29/is-anil-ambani-behind-all-rahul-gandhi-refale-allegations/
Comments
Post a Comment