It is heartening and greets me in this foggy morning of Delhi ,to read the headlines'RSS outfit backs the newly appointed assistant professor in the sanskrit deptt ,BHU.We should not give any handle to the so called muslim firsters who are maligning the basic tenets of islam .Our country is in synergy with our beloved muslim brothers and sisters .I remember my school days as a student of Muslim School ,Bulandshahr (Western Uttarpradesh ) .I miss beloved Kadri sahaib ,Sufi Sahab ,Saiyad Sahab and shamsi sahab ,Yusuf sahab ,and Hashim Sahab to name a few .I had a enriched childhood enriched in Urdu zaban and Shayari .I still remember a few coplets (Shaiar):
गर्दिश -ए -अइयाम तेरा शुक्रिया ,
हमने हर पहलू से दुनिया देख ली।
पूछना है गरदिसे ऐय्याम से ,
हम भी बैठेंगे कभी आराम से।
ये कहते ,वो कहते जो यार आता ,
(भई) सब कहने की बातें हैं ,
कुछ भी न कहा जाता ,जब यार आता।
मैं उसके घर नहीं जाता ,
वो मेरे घर नहीं आता ,
मगर इन एहतियातों से,
ताल्लुक मर नहीं जाता।
दिल अभी पूरी तरह टूटा नहीं ,
दोस्तों की महरबानी चाहिए।
मकतब -ए -इश्क का दस्तूर निराला देखा ,
उसको छुट्टी न मिली जिसने सबक याद किया।
वो करे बात तो हर लफ्ज़ से खशबू आये ,
ऐसी बोली वही बोले जिसे उर्दू आये।
अब के सावन में ये शरारत मिरे साथ हुई ,
मेरा घर छोड़के कुल शहर में बरसात हुई।।।।।।
In this era of uncertainty when the clouds of Climate Change are deep,our environs and ambience is laden with poisnous air ,contaminated water and soil we need social amity social love and love.
खुदा हाफ़िज़ !
गर्दिश -ए -अइयाम तेरा शुक्रिया ,
हमने हर पहलू से दुनिया देख ली।
पूछना है गरदिसे ऐय्याम से ,
हम भी बैठेंगे कभी आराम से।
ये कहते ,वो कहते जो यार आता ,
(भई) सब कहने की बातें हैं ,
कुछ भी न कहा जाता ,जब यार आता।
मैं उसके घर नहीं जाता ,
वो मेरे घर नहीं आता ,
मगर इन एहतियातों से,
ताल्लुक मर नहीं जाता।
दिल अभी पूरी तरह टूटा नहीं ,
दोस्तों की महरबानी चाहिए।
मकतब -ए -इश्क का दस्तूर निराला देखा ,
उसको छुट्टी न मिली जिसने सबक याद किया।
वो करे बात तो हर लफ्ज़ से खशबू आये ,
ऐसी बोली वही बोले जिसे उर्दू आये।
अब के सावन में ये शरारत मिरे साथ हुई ,
मेरा घर छोड़के कुल शहर में बरसात हुई।।।।।।
In this era of uncertainty when the clouds of Climate Change are deep,our environs and ambience is laden with poisnous air ,contaminated water and soil we need social amity social love and love.
खुदा हाफ़िज़ !
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